08-Apr-2022 مزاحیہ شاعری
غزل
پیچھے ہوں حسینانِ جہاں اس کے بعد کیا
بن جاؤں عالیہ کا میاں اس کے بعد کیا
امبانی اڈانی کو بھی کر دوں گا میں پیچھے
تسخیر کروں کون و مکاں اس کے بعد کیا
میں مثل شاہ بیوی کے مرنے کی خوشی میں
تعمیر کروں تاج یہاں اس کے بعد کیا
ایجاد اس جہاں میں ہو اک ایسی ٹیکنک
سو سال تک رہوں میں جواں اس کے بعد کیا
لگ جائے لاٹری بھی ہزاروں کروڑ کی
مل جائے اک سونے کنواں اس کے بعد کیا
بچے پچاس ساٹھ ہیں چھ سات بیویاں
یہ بھی اٹھالوں کوہِ گراں اس کے بعد کیا
میرے غلام ہونگے چرند اور پرند سب
میں سیکھ لوں گا سب کی زباں اس کے بعد کیا
تھوڑا سا نام ہو گیا طنزو مزاح میں
بن جاؤں میر و ذوق اماں اس کے بعد کیا
गजल
पीछे हों हसीनाने जहां उस के बाद क्या।
बन जाऊं आलिया का मियां उस के बाद क्या।।
बच्चे पचास साठ हैं छ सात बीवीयां।
ये भी उठा लूं कोहे गरां उस के बाद क्या।।
ईजाद इस जहां में हो इक ऐसी टेक्निक।
सौ साल तक रहूं में जवां उस के बाद क्या।।
लग जाये लाटरी भी हजारों करोड़ की।
मिल जाये इक सोने का कुआं उस के बाद क्या।।
अम्बानी अडानी को भी कर दूंगा में पीछे।
तस्खीर करुं कोनो मकां उस के बाद क्या।।
थोड़ा सा नाम हो गया तज़ो मिज़ाह में।
बन जाऊं मीरो ज़ौक़ अमां उस के बाद क्या।।